बाल कहानी: बंटवारा :  भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद

   यह बाल कहानी  मैंने स्कूल में
कक्षा में सुनाई थी। मोरल विज्ञान 
के विषय के लिए। तीन किसानों का उदाहरण देकर यह कहानी बनाई गई थी। यह कहानी लिखने की दिनांक थी : 21/7/2008.

बंटवारा:-
     भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
   20/5/2022.

     माधवपुर करके एक गांव था। 
जहां सभी आपस में  एक दूसरे से 
मिलजुल कर रहते थे। पहले के जमाने में कोर्ट कचहरी नहीं हुआ करतें थें। गांवों में ग्राम पंचायत ही 
गांवो  की उन्नति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिया करती थीं। ” पंच कहें वह परमेश्वर ” के हिसाब से ग्राम पंचायत अर्थात पंच का निर्णय सर्वमान्य माना जाता था। माधवपुर के  सरपंच अर्थात मुखिया  मदनमोहन लालजी ने किसानों को सही मार्गदर्शन दिखाने के लिए एक योजना बनाई। पैतृक सम्पत्ति  के खेतों का बंटवारा करने से कभी कभी थोडी सी जमीन का नुक़सान होता था। इस तरह सभी की जमीन का बंटवारा होता तो जितनी जमीन का व्यय होता यह सभी एकत्रित की जाय तो गांव में
 एक छोटा सा खेत तैयार हो जाता। किंतु जमीन को  तो एक जगह से उठाकर दुसरी जगह पर  ले जाकर, आपस में एक दूसरे से नहीं जोड़ सकते!!! कभी कभी 
पैतृक संपत्ति का इतना बंटवारा होता था की १०० विघा वालें ं परदादाओं के परपोतें के हाथ में  केवल एक दो विघा जमीन आती थीं!!! कभी कभी बंटवारे के कारण चचेरे भाईयों में या सगे भाइयों में आपसी अनबन हो जाती थीं। इसलिए गांव वालों को
समझाना जरूरी था कि पैतृक संपत्ति  खेतों का बंटवारा करना चाहिए या नहीं करना चाहिए।
     किसानों को उत्साहित करने एवं अच्छी फसल प्राप्त करने की 
शिक्षा देने के लिए उसका उत्तम उदाहरण देने हेतु तीन किसानों को सरपंचजी द्वारा  
चुनें गयें। तीनों किसानों को १००-१०० विघा जमीन थी और
संतान में दो – दो  बेटें  थें।
    पहले किसान का नाम था मोहनलाल, दूसरे किसान का नाम था सोहनलाल और तिसरे किसान का नाम था चंपकलाल।
  मोहनलाल के दों बेटें का नाम परिश्रम और विश्राम था। सोहनलाल के दों बेटें का नाम  भोलू और गोलू था।  चंपकलाल के दो बेटें का नाम जय और विजय था।
   तीनों किसानों को सरपंच जी ने कहा, “आप तीनों किसानों का उदाहरणार्थ  चयन किया गया हैं।
आप को  एक एक साल की फसल का 
जुगाड खेलना होगा। आप को बड़ा दिल रखना होगा। आप के इस त्याग से अन्य किसानों को समझाया जायेगा कि पैतृक संपत्ति के खेतों का बंटवारा किया जाय या  फिर पैतृक संपत्ति का बंटवारा 
नहीं करना चाहिए। मेरी इस योजना से फसल कैसी होगी? अच्छी या नहीं यह बात मुझे  मालूम नहीं है। आप तीनों किसानों को अपने अपने दोनों बेटों को आपकी जमीन ५०-५० विघा जमीन  एक साल के लिए अपने अपने बेटों को ५०-५० विघा जमीन में अलग अलग फसल
उगाने देनी होगी। अर्थात प्रत्येक किसान को अपने अपने बेटों को आधा आधा खेत एक साल के लिए  सोप  देना है। फसल का उत्पादन होता है या फिर  नहीं  यह बाबत की जिम्मेदारी बच्चों की रहेगी। फिर एक साल के बाद इस प्रायोगिक योजना का परिणाम घोषित कीया
जायेगा। ”
   तीनों किसानों ने अपनी सहमति
दर्शायी। गांव  के उत्कर्ष और विकास के लिए तीनों किसानों अपने अपने खेतों की एक साल की फसल का जुगाड खेलने को तैयार हो गये। भारत एक कृषि प्रधान देश है इस लिए कृषि क्षेत्र में
कुछ उन्नति और महत्वपूर्ण सुझाव
प्राप्त करने के लिए, गांव की भलाई के लिए , अन्य किसानों को
उदाहरण दर्शाने के लिए तीनों किसानों बड़ा दिल रखकर अपनी एक साल की कृषि क्षेत्र से उत्पादित कमाई का त्याग करने के लिए भी राजी हो गये। वो तीनों किसान लोग  आपस में बातें करने लगें कि खेती तो आकाश वृत्ति कहलाती है, एक साल की फसल अच्छी नहीं हुई थी ऐसा समझ लेंगे। 
       मोहनलाल का बड़ा बेटा  परिश्रम अपने नाम के अनुसार मेहनती था। दूसरा  विश्राम अपने नाम के अनुसार आलश वाली प्रकृति का था। सोहनलाल  का बडा़ बेटा
भोलू  अपने नामानुसार बिल्कुल 
भोला शंकर था! वह जरूरत से ज्यादा  सिधा सादा था। जबकि गोलू कपटी एवं उस्ताद था।  गोलू अपनी चालाकी से अच्छें अच्छों को गोल घुमाया करता था।
चंपकलाल के दोनों बेटों के पास अच्छा संस्कार धन था। दोनों गुण वान और कुटुंब वत्सल थें।
***
एक साल बाद:-
   मोहनलाल के बेटे परिश्रम ने इतनी मेहनत की कि; खेत में एक
उंगली जितनी भी जगह खाली नहीं रही थी उतनी फसल तैयार हो  गई उतनी मेहनत की थी। जमीन अच्छी खासी उपजाऊ थी, फिर भी  विश्राम के आलसी स्वभाव के कारण काली जमीन में
बिना फसल के काले धब्बे जैसा अंधेरा था!!!
     सोहनलाल का बड़ा बेटा अपने छोटे भाई को भी अपने जैसा सीधा सादा समझता था। उसे अपने भाई पर अपने से ज्यादा भरोसा था। अच्छी फसल उगानी है तो कठोर मेहनत के साथ खेतों का रखरखाव भी अच्छी तरह करना चाहिए। सावधानी भी बरतनी चाहिए। गोलू का स्वभाव एकदम मतलबी था। उसने किसी को मालूम न पड़े इस तरह  कुएँ में से पानी

Bhavana Purohit:
निकालने के पंप का नल की दिशा इस तरह बदल दिया कि अपने खेत में ज्यादा पानी मिले! ‘अपना  उल्लू सीधा करना_ ‘  कहावत  के अनुसार। शायद ऐसे मतलबी लोग को ध्यान में रखते हुए ही यह कहावत बनी होगी! भोलू की कड़ी मेहनत के बावजूद उनके खेत में जरुरत से कम पानी मिलने से और गोलू के खेत में जरुरत से ज्यादा पानी मिलने पर दोनों के खेतों में फसल ठीक से नहीं हो सकी। यह बड़े दु:ख की बात थी!!!
  चंपकलाल के दोनों बेटों जय और विजय ने अपने अपने खेतों में कृषि विज्ञान की जानकारी के हिसाब से 
मौसमों के अनुसार फसल लगाकर,
खेतों की खाली जगह में तरकारी,
औषधीय पौधे आदि लगाकर  दोनों भाईयों के खेतों में, फसल अच्छी हुई। जैसे धरती से सोना उगलता हो ऐउ दिखने लगा!!! सभी को ऐसा लगा कि इन  लोगो के खेतों में प्रभु ने अपनी  मेहर की मोहर लगाई है!!! दोनों भाईयों में
अच्छा तालमेल था। वे दोनों भाईयों अपने अपने खेतों में रोजाना पेहरा  देतें थें।
ताकि बाहरी असामाजिक तत्वों कोई नूकसान न पहुंचा सकें। 
**
पंच के आखिरी  निर्णय के एक दिन पहले:-
    पंच के  परिणाम घोषित करने के पहले साल भर की फसल का 
हिसाब किताब बिक्री आदि के एक दिन पहले जय और विजय अपने अपने  पहेरेदारों  के साथ खेतों में पेहरा लगा रहें थे….
 आधि रात को जय के पेहरेदारों को एक व्यक्ति दिखा जिसने अपना मुंह पर बुकानी ( मुंह छिपाने का कपड़ा) लगाई थी और सिर पर फेंटा ( पगड़ी) बांधा हुआ था। जय के पेहरेदारों  ने उसे पूछा,” ठहरो! 
आप कौन हो? इस तरह आधी रात को हमारे खेत के पास क्यों आए  हो ? क्या चोरी करने का इरादा है?
अपना  मूँह बुकानी से  छिपाकर, धीरे से वो व्यक्ति बोला, ” सुनो! मैं चोर नहीं 
हूॅं । मैं तो विजय हूॅं! मेरे बड़े भाई का  परिवार बड़ा है । उसे मुझसे 
ज्यादा  अनाज की आवश्यकता है। मेरे बड़े  जय  भाई  फिर बूढ़े हो जाएंगे तो वे ज्यादा मेहनत कैसे कर सकेंगे?  मैं  तो  छोटा हूॅं, अभी
तो मेरी सारी उमर पड़ी है। मैं तो आने वाले अगले सालों में ज्यादा 
मेहनत कर लूंगा। मैं चोरी चोरी
चुपके चुपके  अनाज की चोरी करने नहीं आया हूॅं; किंतु  अपने आप को छिपाते हुए मेरे खेत  से 
दो-चार  बोरीयाँ अनाज मेरे भैया के  खेत में डालने आया हूॅं।” जय के पेहरेदारों ने उन्हें दो चार बोरीयाँ अनाज जय के खेत में  डालने की 
अनुमति दें दीं।
            इसि घटना की पुनरावृत्ति 
विजय के खेत  के पेहरेदारों के साथ हुई। विजय के खेत के पास भी पगड़ी वाला और मुँह ढकने वाली बुकानी लगाया हुआ व्यक्ति आया। फिर पेहरेदारों ने उन्हें  पूछा,
” ठहरो आप कौन हो? इतनी रात को आप यहाँ क्यों आये हैं? कहीं
चोरी करने का इरादा तो नहीं?” बुकानी से मुँह ढककर आया हुआ
व्यक्ति बोला, ” पेहरेदारों , मैं चोर नहीं हुँ, मैं  तो चंपकलाल का बड़ा बेटा हुँ। मेरा परिवार तो  बहुत ही बड़ा है। अनाज उगाने में सभी परिवार जनों  सहायता करतें हैं।
किंतु मेरे  छोटे भाई  विजय का परिवार छोटा सा है। मेरे भाई के बच्चें भी तो छोटे हैं।  उसे अनाज 
उगाने में कौन मदद करायेगें?  मैं चोरी करने नहीं आया हूॅं किंतु मैं तो मेरे भाई के खेत में दो चार बोरीयाँ अनाज डालने आया हूॅं।” पहेरेदारों ने आश्चर्य चकित हो कर दो चार बोरीयाँ अनाज विजय के खेत में डालने की अनुमति दें दीं ।
परिणाम के दिन:-
***    दूसरे दिन तीनों खेतों की फसल दिखाकर ; हिसाब -किताब  करके
देखना था। ग्राम पंचायत के समक्ष एवं अन्य किसानों के लिए उदाहरण देकर  समझाना था कि
अन्य किसानों अपने अपने बच्चों के बीच अपने अपने खेतों का   बंटवारा करेंगे या नहीं? अगर बंटवारा होगा तो माता पिता किसके साथ रहेंगे?  आदि महत्वपूर्ण बातें  करनी थी।

    सबसे पहले  मोहनलाल के दों बेटें को बुलाया गया। परिश्रम के खेत की सराहना हुई। विश्राम को
अपनी  फसल का परिणाम देखकर बहुत सारा दु:आ हुआ।उसको मन ही मन में बहुत ही पछतावा हुआ और रोना आया।
उसने सोचा कि काश! उसने अपने
भैया जितनी मेहनत करी होती तो…  उसके  खेत में भी अच्छी 
फसल होती!!! किंतु अब क्या कर सकते हैं??? समय एक बार हाथ से निकल गया था,  जिसे पिछे 
मुड़ कर वापस नहीं लाया जाता!!!
     सोहनलाल के दोनों बेटों भोलू और गोलू  को अपनी अपनी गलति  समज में  आयी। भोलू को
थोड़ा सा सावधान रहना चाहिए था। गोलू को भी मतलबी नहीं होना चाहिए था। दोनों को समझ में आया कि  किसानों पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी होती है!!! किसान बनना उतना आसान नहीं!!! दोनों ने थोड़ी सावधानी रखीं होती तो उनके खेत में अच्छी फसल तैयार  हो पाती!!!          चंपकलाल के दोनों बेटों
जय –  विजय की पिछली रात वाली बात दोनों के पेहरेदारों ने पुरे
गांव वालों को सुनाई। वे दोनों भाईयों के  आपसी मनमुटाव एवं
तालमेल देखकर पुरे गांव वालों की आंखो में हर्षाश्रु आ गये कि उनके
दोनों के बीच कितना अच्छा समझदारी का रिश्ता है!!!
    आखिर में पंच द्वारा निर्णय लिया गया कि, यदि किसानों  द्वारा 
मिलजुल कर , मेहनत से, सावधानीपूर्वक, एक दूसरे का खयाल रखकर खेती- कृषि उद्योग 
होगा तो, फसल अच्छी होगी। गांव के दूसरे किसानों अपने अपने खेतों का अपने अपने बेटों में बंटवारा नहीं करेंगे !!!
    निःसंदेह पारितोषिक तो चंपकलाल को  ही मिलना था। सो चंपकलाल को पारितोषिक राशी मिली। वह मातबर रकम थी।
किंतु सरपंच मदनमोहन लालजी बहुत ही समझदार थें, इस लिए उन्होंने अन्य दो किसानों को भी सालभर की आय की रकम  दे ही दी। क्यों कि गांव के भले के लिए इतना बड़ा जुगाड खेलने की अनुमति जो थी। इतना बड़ा जिगर रखना यह कोई  मामूली बात नहीं। 
   फिर गांव वालों कृषि विज्ञान केंद्र जाकर सलाह मशविरा लेने लगें।
अपने बच्चों को कृषि विज्ञान क्षेत्र में अभ्यास कराने लगें। कृषि विज्ञान के साथ साथ गांव वालों ने अन्य घरेलू एवं कृषि संबंधित  लघु उद्योगों में निपुणता प्राप्त की। पशुपालन में भी वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त कर ली।  गो वंश रक्षा , गो वंश संबंधित और अन्य पालतू पशुओं संबंधित जानकारी प्राप्त करने लगे।
               धीरे धीरे सभी में कृषि उद्योग एवं अन्य ग्रामीण उद्योगो में जागरूकता आ गयी।
गांव वालों को कृषि विज्ञान की अधिक जानकारी हेतु कोम्पयुटर की जानकारी सरकार द्वारा मिलने लगी। सभी के घरों में टीवी भी आ गया था जिसमें कृषि विज्ञान क्षेत्र पर विविध जानकारी देते हुए कार्यक्रमों आने लगे। सभी ध्यान से ऐसे कार्यक्रमों देखने लगें। सभी किसानों अपने अपने खेतों को अपनी माता समान प्रेम करने लगें।
सभी किसानों को मालूम पड़ा कि
धरती माता हमारी माता है। धरती माता को हम एक बीज देतें हैं, धरती माता हमें हजारों गुना करकें वापस देतीं हैं। जिन किसानों के खेतों में अच्छी फसल नहीं होती थीं उन्होंने अपनी अपनी गलति समज ली। अभी हरेक किसानों के मन में एक ही बात चलती रहती हैं कि कैसे कर के हम हमारी धरती माता को कैसे प्रसन्न करें?  फलस्वरूप
धरती माता हमने सोचा है उससे कयी गुना अधिक दें  देती हैं। सभी में एकता आ गई। सभी ने अपनी
अपनी छोटी मोटी आपसी दुश्मनी
भूला दीं। सभी के दिल में एक ही
लक्ष था कि कैसे धरती माता की गोद में आया अपने गांव को कैसे बढ़ाए? 
 भगवान की कृपा गांव पर बरसी।
 फिर  चार सालों के बाद राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार की ओर से माधवपुर गांव को सराहना और सम्मान राशि मिली। उसका उपयोग गांव के भले के लिए किया गया।

भावना मयूर पुरोहित हैदराबाद
6/6/2022.

                      

    

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