चांद तुमसे मुझे एक शिकायत है
वैसे तुमसे कौन हुआ कभी आहत है
छुप जाते हो बादलों में तुम अक्सर
चांदनी पास होती है यही राहत है
रोशन रही है मेरी ज़िंदगी और जहां
आप ही से ये सारी ही वजाहत है
सोचा क्या होता है नाकाबिलों का ?
जिनमें दिलसे काम करने की चाहत है
आंखों में होली दिल में दिवाली कैसे ?
आग और रंगों की चल रही रवायत है
कुछ न कुछ करता रहता हूं शौकिया
मेरा वक्त है, यहां मेरी ही बादशाहत है
पूजन मजमुदार