इंतज़ार उजाले का है फिर से, दिल को। किस पल ये पता नहीं, पर अंधेरे को ये पता है, जिस पल उजाला आएगा, वो खुद के अस्तित्व का अन्तिम पल होगा। – पूजन मजमुदार.

ગુજરાત ધાર્મિક ભારત સમાચાર

मेरे दिल के एक अंधेरे कोने में
काली रात से भी ज़्यादा अंधेरा है
रात तू मेरे दिल में आके ठहर, तू भी
रास्ता भूल जाएगी इस अंधेरे कोने में।
कभी काफ़ी उजाला था वहां,
मीठी हंसी की खनक
चुलबुली आंखों की मस्ती थी वहां
अब वहां काला स्याह अंधेरा है।
सांसें उसके बारे में सोच, थरथराई रहती हैं,
और धड़कनें सकुचाई सी।
इंतज़ार उजाले का है फिर से, दिल को।
किस पल ये पता नहीं, पर अंधेरे को
ये पता है, जिस पल उजाला आएगा,
वो खुद के अस्तित्व का
अन्तिम पल होगा।

पूजन मजमुदार ९/१२/२०२०

TejGujarati