?स्त्रियाँ निपट मूर्ख होती हैं…

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??:::::स्त्रियाँ निपट मूर्ख होती हैं …
दाँत किटकिटाती ठंड में
बग़ैर स्वेटर, कार्डीगन, शॉल पहने
वैवाहिक उत्सवों में सम्मिलितb स्त्रियों पर
खूब मीम्ज बनते हैं
चुटकले गढ़े जाते हैं
क्योंकि हमारी नजरों में
स्त्रियाँ निपट मूर्ख होतीं हैं..!

यदि वो घर की चारदीवारी से निकल
कुछ पलों के लिए जीना चाहतीं हैं
ख़ुद के लिए
प्रदर्शित करना चाहतीं हैं
अपने डिजायनर ब्लाउज
बेलबूटेदार साड़ियाँ
कलात्मक आभूषण
तो इसमें भला इतनी आपत्ति क्यों..!?

लेकिन हाड़ कंपाती सर्द सुबह में
जब हम रजाई में बैठे-बैठे
चाय की चुस्कियां लेते हुए
ठंड को गरियाकर
गर्माहट पा रहे होते हैं
तब यही मूर्ख स्त्रियाँ
नहा धोकर चौके में
हमारे लिए चाय-नाश्ता बना रही होतीं हैं..!❤️

कभी सोचिए…!
ये मूर्ख स्त्रियाँ
किस मिट्टी की बनी होती हैं
जो जेठ-आषाढ़ की झुलसाती हुई गर्मी में
चूल्हे के सामने खुद को पसीने में डुबोए
पेट, पीठ, गर्दन पर घमौरियों की कई-कई परतें चढ़ाए
हमारी भूख को शान्त करने का इंतजा़म करतीं हैं
ग़र्म तैल से छनछनाते परांठे को चिमटे की जगह
अंगुलियों से पकड़ गर्मागरम परोस देतीं हैं..!❤️

तब कोई मीम्ज नहीं बनते
तब कोई चुटकले नहीं गढ़े जाते
उस समय हमारी वणिक बुद्धि
उन्हें ममत्व की प्रतिमूर्ति
गृह-लक्ष्मी
त्यागशील देवी
और ना जाने क्या-क्या उपमाएँ देकर
उन्हें छले चली जाती है
तब हमारे हास्य विनोद की सृजनशीलता
छद्म वाकपटुता
हलक में फंसी रह जाती है..!❤️

हाँ!
स्त्रियाँ निपट मूर्ख होतीं हैं
जो परिवार को ताजा गर्म और स्वास्थ्यवर्धक
खाना देने के लिए
अपनी देह को झुलसाती हैं
रात के ठिठुरते बर्फ़ीले पानी में
अपनी हड्डियों को गलातीं हैं..!❤️

चुटकुले यहाँ बनने चाहिए थे
मगर…!

ख़ैर छोड़िए..!
अब रजाई छोड़ उठिए
रात के बर्तन धोकर
आज सुबह की चाय ख़ुद ही बनाइये
बहुत से चुटकुलों और सवालों के जवाब
ख़ुद ही पाइए:::::???

TejGujarati