होली – भावना मयूर पुरोहित. हैदराबाद.
पांच हजार वर्षो पूर्व, राधाकृष्ण खेलते थे होली, सोने की पिचकारियोंसे, किमती द्रव्यों से, जैसे कि अबीर-गुलाल, केसर-चंदन, अंबर- कस्तुरी ,पलास से । टेसुओं जब खिलते थे, अंगार जैसे चमकते थे, इसलिए पलास कहलाते हैं । अभी भी सभी भारतीयोंको, चाहे भले ही वे परदेस में रहते हों, अमिट प्रतिमा अंकित हैं, सभी के दिलों […]
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